KAVI HONA SAUBHAGYE HAI

कवि होना सौभाग्य है...


BY AMIT ANANT

जहाँ ना पहुचे रवि
 वहाँ पहुचते कवि
जहाँ ना पहुचे रवि कवि
वहाँ पहुचते अनुभवी
जहाँ ना पहुचे कोई कभी
वहाँ पहुचते कवि अभी

      KAVI HONA SAUBHAGYE HAI...कवि होना सौभाग्य की बात होती है क्यो कि कवि सभी नही हो पाते है...बहुत कम ऐसे पुण्य आत्माएँ होती है जो कवि बन पाते है और कवि की हर समय अलग दृष्टिकोण होता है वो बहुत ही संवेदनसील होते है उनके उठने-बैठने, चलने ,देखने, सोचने, बोलने ,समझने एवं समझाने के तरीके ही अलग होते है वे सैदेव जन हित सेवा भाव ,समर्पण भाव, प्रेम भाव एवं मानवीय जीवन होता है उनके भीतर एक अलग एहसास भाव और प्रेम का दीप जलता रहता है वे ज़्यादातर अन्तर दृष्टि से ही हर चीजो को देखते और समझते है वे अपने आप मे ही डूबे रहते है और यह सब उनके भीतर प्रकृति होता है। और यह बहुत ही सौभाग्यपूर्ण बात होती है।
      KAVI HONA SAUBHAGYE HAI...आज के इस युग के लोगों में तरह- तरह की भावनाएं होती है परन्तु कवि की भावनाओं की बात निराली होती है वे मिटटी में भी जान डालने की क्षमता रखते है और जिस वस्तु को देख लिए समझो उसमे डूब गए...और डूबने के बाद तो सारा रस लेकर ही निकलना है और उसी रस के स्याही में कलम को डुबो के कोरे कागज पर मोतियों की तरह उतार कर पिरो देते है फिर मानो उसमे प्रेम की गंगाजल की धार बहने लगती है। प्रेम रस एवं आनंद रस बहने लगते है।
     KAVI HONA SAUBHAGYE HAI...कवि कोरे कागज पर जब रचनाएँ रचते है और उसमें हर प्रकार के भाव एवं रस को मिलाकर उसको जब अपने हृदयतल की गहराइयों से पिरोते है तो समझो धरा पर एक नए आत्मा की जन्म हुई है क्यो कि जो उसको हृदय से पढ़ते है तो लगता है कि कवि ने अपने सारी खूबियाँ बस इसी रचना को दे दिया है।और पढ़ कर हृदय में प्रेम उमड़ पड़ता है।और यह बहुत ही महत्वपूर्ण एवं सौभाग्यपूर्ण होता है। कवियों की खूबियों में तो हजारों पन्ने कम पड़ जायेंगे इतने प्रेम-भाव समपर्ण और रचनात्मक दृष्टि होती है और इसलिए बोलते है कवि होना सौभाग्य की बात है। वो बोलते है ना...कि जहाँ ना पहुचे रवि।वहाँ पहुचे कवि।अर्थात जहाँ कोई भी नही पहुचे पाते है वहाँ कवि पहुँच जाते है।
   KAVI HONA SAUBHAGYE HAI...अपने भावनाओं के माध्यम से कवि उस हर जगह पहुँच जाते है जहां हर किसी का पहुंचना सम्भव नही होता है।

धन्यवाद



@Amit anant
        Delhi

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